Democracy, demography and dynamism are giving shape to India’s development and destiny: PM Modi

His Excellency the President of the Swiss Federation,

Honourable Heads of State and Government,

World Economic Forum के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष श्री क्लॉज़श्वाब,

विश्व के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित उद्यमी, उद्योगपति और CEOs

मीडिया के मित्रों,

देवियों और सज्जनों,

नमस्कार।

दावोस में World Economic Forum की इस अड़तालीसवीं वार्षिक बैठक में शामिल होते हुए मुझे बेहद हर्ष हो रहा है।

सबसे पहले मैं श्री क्लॉज़श्वाब को उनकी इस पहल पर और World Economic Forum को एक सशक्त और व्यापक मंच बनाने पर बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ। उनके vision में एक महत्वाकांक्षी एजेंडा है जिसका उद्देश्य है दुनिया के हालात सुधारना। उन्होंने इस एजेंडा को आर्थिक और राजनीतिक चिंतन से बहुत मज़बूती के साथ जोड़ दिया है।

साथ ही साथ हमारेगर्मजोशी भरे स्वागत-सत्कार के लिए मैं Switzerland की सरकार और उसके नागरिकों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ।

Friends,

दावोस में आख़िरी बार भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा सन् 1997 में हुई थी, जब श्री देवेगौड़ा जी यहाँ आए थे।

1997 में भारत का GDP सिर्फ़ 400 billion dollar से कुछ अधिक था। अब दो दशकों बाद यह लगभग 6 गुना हो चुका है।

उस वर्ष इस फोरम का विषय “Building the Network Society” था।

आज, 21 साल बाद technology और digital age की उपलब्धियों और प्राथमिकताओं को देखें तो यह विषय सदियों पुराना जान पड़ता है।

आज हम सिर्फ़ network society ही नहीं, बल्कि big data ,artificial intelligence तथा Cobots की दुनिया में हैं।

1997 में EURO मुद्रा प्रचलित नहीं हुई थी। और Asian financial crisis का कोई अता-पता नहीं था, ना ही BREXIT के आसार थे।

1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन के बारे में सुना था और Harry Potter का नाम भी अनजाना था।

तब शतरंज के खिलाड़ियों को computer से हारने का गंभीर खतरा नहीं था।

तब Cyber Space में Google का अवतार नहीं हुआ था।

और यदि 1997 में आप internet पर ”Amazon” शब्द ढूंढते तो आपको नदियों और घने जंगलों के बारे में सूचना मिलती।

उस जमाने में tweet करना चिड़ियों का काम था, मनुष्यों का नहीं।

वह पिछली शताब्दी थी।

आज, दो दशकों के बाद हमारा विश्व और हमारे समाज बहुत सी जटिल networks के network हैं।

उस जमाने में भी दावोस अपने समय से आगे था, और यह World Economic Forum भविष्य का परिचायक था।

आज भी दावोस अपने समय से आगे है।

इस वर्ष फोरम का विषय – ”Creating a shared Future in a Fractured World” है। यानि दरारों से भरे विश्व में साझा भविष्य का निर्माण।

नये-नये बदलावों से, नई-नई शक्तियों सेआर्थिक क्षमता और राजनैतिक शक्ति का संतुलन बदल रहा है। इससे विश्व के स्वरुप में दूरगामी परिवर्तनों की छवि दिखाई दे रही है। विश्व के सामने शांति, स्थिरता और सुरक्षा को लेकर नई और गंभीर चुनौतियां है।

Technology driven transformation हमारे रहने, काम करने, व्यवहार, बातचीत और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय समूहों और राजनीति तथा अर्थव्यवस्था तक को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।

Technology के जोड़ने, मोड़ने और तोड़ने– तीनोंआयामों का एक बड़ा उदाहरण Social media के प्रयोग में देखने को मिलता है।

आज Data सबसे बड़ी संपदा है। Data के globalflow से सबसे बड़े अवसर बन रहे हैं, और सबसे बड़ी चुनौतियां भी।

विज्ञान, तकनीक और आर्थिक प्रगति के नये आयामो में एक ओर तो मानव को समृद्धि केनये रास्ते दिखाने की क्षमता है। वहीं दूसरी ओर, इन परिवर्तनों से ऐसी दरारें भी पैदा हुई हैं जो दर्द भरी चोट पहुंचा सकती हैं।

बहुत से बदलाव ऐसी दीवारें खड़ी कर रहे हैं जिन्होंने पूरी मानवता के लिए शान्ति और समृद्धि के रास्ते को दुर्गम ही नहीं दु:साध्य बना दिया है।

ये fractures, ये divides और ये barriers विकास के अभाव की हैं, गरीबी की हैं, बेरोजगारी की हैं, अवसरों के अभाव, और प्राकृतिक तथा तकनीकी संसाधनों पर आधिपत्य की हैं। इस परिवेश में हमारे सामने कई महत्वपूर्ण सवाल हैं जो मानवता के भविष्य और भावी पीढ़ियों की विरासत के लिए समुचित जवाब मांगते हैं।

क्या हमारी विश्व-व्यवस्था इन दरारों और दूरियों को बढ़ावा दे रही है?

वे कौन सी शक्तियाँ हैं जो सामंजस्य के ऊपर अलगाव को तरजीह देती हैं, जो सहयोग के ऊपर संघर्ष को हावी करती हैं?

और हमारे पास वे कौन से साधन हैं, वे कौन से रास्ते हैं जिनके ज़रिये हम इन दरारों और दूरियों को मिटाकर एक सुहाने और साझा भविष्य के सपने को साकार कर सकते हैं?